हिंदू पंचांग के अनुसार तिथि का क्या महत्व है?

 


हिंदू धर्म में पंचांग का अत्यधिक महत्व है। यह केवल एक कैलेंडर नहींबल्कि एक संपूर्ण ज्योतिषीय ग्रंथ हैजो किसी भी कार्य को करने के लिए शुभ और अशुभ समय बताता है। पंचांग पांच प्रमुख अंगों से मिलकर बनता है – तिथिवारनक्षत्रयोग और करण। इनमें तिथि का विशेष महत्व है क्योंकि यह चंद्रमा की गति पर आधारित होती है और हर व्रतत्योहारविवाहगृह प्रवेशमुंडन जैसे धार्मिक कार्यों के लिए तिथि का ध्यान रखा जाता है।

 

तिथि का धार्मिक महत्व

तिथि का धार्मिक दृष्टिकोण से विशेष महत्व होता है। यह हिंदू धर्म के हर व्रत और त्योहार का आधार होती है। कई प्रसिद्ध त्योहार जैसे एकादशीपूर्णिमाअमावस्याजन्माष्टमीरामनवमी आदि विशेष तिथियों पर ही मनाए जाते हैं। हर तिथि का एक विशिष्ट प्रभाव और महत्व होता है:

  • प्रतिपदा – नए कार्यों की शुरुआत के लिए उत्तम मानी जाती है।
  • द्वितीया – दान-पुण्य और भाई-बहन के प्रेम को बढ़ाने वाली तिथि।
  • तृतीया – अक्षय तृतीया इस तिथि को अत्यधिक शुभ बनाती है।
  • चतुर्थी – गणेश पूजा के लिए शुभ।
  • पंचमी – नाग पंचमी इसी तिथि को आती है।
  • षष्ठी – स्कंद षष्ठी और षष्ठी देवी पूजन के लिए विशेष।
  • सप्तमी – सूर्य देव की उपासना के लिए उत्तम।
  • अष्टमी – दुर्गा अष्टमी और कालाष्टमी का विशेष महत्व।
  • नवमी – देवी दुर्गा और रामनवमी का पर्व।
  • दशमी – विजयादशमी का पर्व इसी दिन आता है।
  • एकादशी – विष्णु भक्ति के लिए सर्वोत्तम दिन।
  • द्वादशी – व्रत पारण के लिए उपयुक्त।
  • त्रयोदशी – प्रदोष व्रत का विशेष महत्व।
  • चतुर्दशी – नरक चतुर्दशीशिवरात्रि का विशेष दिन।
  • पूर्णिमा और अमावस्या – पूजा-पाठध्यान और दान के लिए विशेष।

 

तिथि का ज्योतिषीय प्रभाव

ज्योतिष में तिथि का विशेष महत्व है क्योंकि यह चंद्रमा के प्रभाव से जुड़ी होती है। प्रत्येक तिथि का एक स्वामी ग्रह होता हैजो उस दिन की ऊर्जा को निर्धारित करता है। जैसे:

  • प्रथम तिथि (प्रतिपदा) - सूर्य प्रभावी होते हैं।
  • द्वितीया - चंद्रमा का प्रभाव रहता है।
  • तृतीया - मंगल का प्रभाव अधिक होता है।
  • चतुर्थी - बुध का प्रभाव रहता है।
  • पंचमी - गुरु का प्रभाव रहता है।
  • षष्ठी - शुक्र का प्रभाव रहता है।
  • सप्तमी - शनि का प्रभाव अधिक होता है।
  • अष्टमी - राहु और चंद्रमा का प्रभाव।
  • नवमी - मंगल और केतु का प्रभाव।
  • दशमी - गुरु और सूर्य का प्रभाव।
  • एकादशी - चंद्र और बुध का प्रभाव।
  • द्वादशी - शुक्र और गुरु का प्रभाव।
  • त्रयोदशी - मंगल और शनि का प्रभाव।
  • चतुर्दशी - राहु और मंगल का प्रभाव।
  • पूर्णिमा और अमावस्या - चंद्रमा और सूर्य का प्रभाव।

तिथि अनुसार ग्रहों का यह प्रभाव व्यक्ति के जीवन में अनेक प्रकार के परिणाम ला सकता है। सही तिथि पर कार्य करने से सफलता और उन्नति मिलती हैजबकि अशुभ तिथि में कार्य करने से बाधाएं आती हैं।

 

हिंदू कैलेंडर में तिथि की गणना

हिंदू कैलेंडर (पंचांगमें तिथि की गणना चंद्रमा की स्थिति के आधार पर की जाती है। चंद्रमा जब सूर्य से 12 अंश आगे बढ़ता हैतब एक तिथि पूर्ण होती है। एक माह में कुल 30 तिथियां होती हैंजो दो पक्षों में

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